Saturday, September 21, 2019

अभी हमारा ख्वाब आधा है।

तिष्णगी  हद से ज्यादा है,
अभी हमारा ख्वाब आधा है।
बेशक मकाम और भी हैं बहुत,
पर पक्का नेक ईरादा है।
पँख सुर्खाब के न सही,
पर शाहीन सा अपना माद्दा है।
तूफानों से कौन घबराता है,
बादालों पर उङने का वादा है।
- द्वारा कृष्ण प्रकाश

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