Sunday, March 22, 2020

मैं आज मैं होना चाहता हूं।

बिन सफर,बिन मंजिलों का एक रास्ता होना चाहता हूं।

कहीं दूर किसी जंगल में ठहरा दरिया होना चाहता हूं।

एक जिंदगी होना चाहता हूं बिना रिश्तों और रिवाजों की।

दूर आसमान से गिरते झरने में कहीं खोना चाहता हूं,मैं आज मैं होना चाहता हूं।


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