Monday, November 30, 2020

समझो कुछ तकलीफ़ उनकी भी

 समझो कुछ तकलीफ़ उनकी भी

जो हर बात पर मुस्कुराते हैं...

महसूस न कर ले गमों की आहट
यह सोच मुस्कराहटों के परदे लगाते हैं....
मुस्कुरा कर खुश रखते हैं सब को
न जाने कितने गम छुपाते हैं....

समझो कुछ तकलीफ़ उनकी भी
जो हर बात पर मुस्कुराते हैं...

पूछने पर कि क्या हाल है उनका,
"अच्छे हैं" यही उत्तर हर बार दोहरातें है,,
छुपा के सभी गम दिल के अँधेरों में,
लबों पर मुस्कराहटों के पुष्प खिलाते हैं,,

समझो कुछ तकलीफ़ उनकी भी
जो हर बात पर मुस्कुराते हैं...

समझो कुछ खामोशियों को उनकी भी,
जो बिन शब्दों के यूँ ही कुछ गुनगुनाते हैं
दफन होती इच्छाओं को भूलकर 
वो हर वक़्त बेवजह सिर्फ मुस्कुरातें है

समझो कुछ तकलीफ़ उनकी भी
जो हर बात पर मुस्कुराते हैं..

संग्रहित कविता

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