Friday, February 21, 2020

सब जाग रहे तू सोता रह ।

सब जाग रहे तू सोता रह,

किस्मत को थामे रोता रह। 

जो दूर है माना मिला नही,

जो पास है वो भी खोता रह।

सब जाग रहे तू सोता रह।


लहरो पर मोती चमक रहे,

झोंके भी तुझ तक सिमट रहे।

न तूफान कोई आने वाला, 

सब तह तक गोते लगा रहे ।

लहरें तेरी कदमों में है,

तू नाव पकड़ बस रोता रह।

सब जाग रहे तू सोता रह।

किस्मत को थामे रोता रह।


धूप अभी सिरहाने है , 

मौसम जाने पहचाने है।

रात अभी तो घंटो है,

बस कुछ पल दूर ठिकाने है।

इतनी दूरी तय कर आया , 

दो पग चलने में रोता है।

सब जाग रहे तू सोता रह।

किस्मत को थामे रोता रह।


माना कि मुश्किल भारी है,

पर तुझमें क्या लाचारी है।

ये हार नही बाहर की है, 

भीतर से हिम्मत हारी है।

उठ रहे यहाँ सब गिर-गिर कर ,

न उठा तू यू ही लेटा रह।

सब जाग रहे तू सोता रह,

किस्मत को थामे रोता रह।


जो दूर है माना मिला नही ,

जो पास है वो भी खोता रह।

सब जाग रहे तू सोता रह।।।।।

= Sandeep Dwivedi ji

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