रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
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सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
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तुफानो से आँख मिलाओ,
सैलाबों पे वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो,
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो,
तैर कर दरिया पार करो
फूलो की दुकाने खोलो,
खुशबु का व्यापर करो
इश्क खता हैं,
इश्क खता हैं,
तो ये खता एक बार नहीं,
सौ बार करो
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फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
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