Friday, March 23, 2018

भगत सिंह के नारे...

शहीद भगत सिंह का देश के महान शहीदों में सबसे प्रमुख हैं। भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 लायलपुर के बंगा में हुआ था। शहीद-ए-आजम के पूरे परिवार के खून में देशभक्ति दौड़ती थी और इसी वजह से भगत सिंह के अंदर भी देशभक्ति का जुनून सवार था। जब 23 मार्च 1931 को उन्हें लाहौर की जेल में उन्हें फांसी दी जा रही थी तो उस दौरान भगत सिंह ने नारा दिया 'इंकलाब जिंदाबाद' और इसके बाद वो मुस्कुराते रहे और देश के शहीद हो गए। आज हम आपको भगत सिंह के कुछ ऐसे ही नारे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आज भी आप में देशभक्ति का जज्बा जाग जाएगा। यह भी पढ़ें- भगत सिंह ने फांसी से एक दिन पहले देश के नाम लिखा था ये खत, जानिए क्या था इसमें भगत सिंह के नारे... इंकलाब जिंदाबाद साम्राज्यवाद का नाश हो। राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है। ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था। बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है। क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है। व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते। निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं। मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है। प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
शहीद भगत सिंह का देश के महान शहीदों में सबसे प्रमुख हैं। भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1907 लायलपुर के बंगा में हुआ था। शहीद-ए-आजम के पूरे परिवार के खून में देशभक्ति दौड़ती थी और इसी वजह से भगत सिंह के अंदर भी देशभक्ति का जुनून सवार था।
जब 23 मार्च 1931 को उन्हें लाहौर की जेल में उन्हें फांसी दी जा रही थी तो उस दौरान भगत सिंह ने नारा दिया 'इंकलाब जिंदाबाद' और इसके बाद वो मुस्कुराते रहे और देश के शहीद हो गए। आज हम आपको भगत सिंह के कुछ ऐसे ही नारे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़कर आज भी आप में देशभक्ति का जज्बा जाग जाएगा।
भगत सिंह के नारे...
◆ इंकलाब जिंदाबाद
◆ साम्राज्यवाद का नाश हो।
◆ राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है।
◆ ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो, यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।
◆ बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रान्ति की तलवार विचारों के धार बढ़ाने वाले पत्थर पर रगड़ी जाती है।
◆ क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक कभी न ख़त्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है। श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।
◆ व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते।
◆ निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
◆ मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
◆ प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।

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