Monday, November 27, 2017

नायक बरकत सिंह

दिनांक 2 मई 1937 को मेरठ के टोफरेक लाईन्स में 10 बटालियन की ”बी’’ कंपनी, 2सरी पंजाब रेजिमेंट का सिपाही कांषी राम उस सुबह आपे से बाहर होकर क्वार्टर गार्ड में आया और गार्ड कमांडर को गोली मार दी और गार्ड के दूसरे सिपाही को घातक रूप से घायल कर दिया।
       उसके बाद वह भरी हुई राइफल और उस पर लगी संगीन और पाउच में अतिरिक्त राउंडस के साथ लाईन की ओर गया। मार डालने के इरादे के साथ उसने सूबेदार गोपी राम का पीछा किया। कुछ देर तक सूबेदार के दिखाई न देने पर वह कुछ क्षणों तक अनिर्णय की स्थिति में खड़ा रहा उसके बाद गोली मारने को तैयार ”हाई पोर्ट’’ स्थिति में राइफल के साथ उन्हें ढूंढने लगा।
        निहत्थे नायक बरकत सिंह जो यह सब देख रहे उन्होंने फुर्ती और साहस का प्रदर्षन करते हुए सिपाही कांषी राम को इसी पोजीषन में धर दबोचा व जब तक और लोग आकर उन्हें काबू करें, उसे जकड़ कर उसके हाथ बांध दिए। जब सिपाही कांषी राम से उसकी राइफल ले ली गई तब उसके चैंबर में एक राउंड तथा मैगज़ीन में तीन राउंड थे और उसका बाकी अम्यूनिषन उसके पाउच में ही था।
            नायक बरकत सिंह द्वारा की गई तत्काल कार्रवाई के कारण और जीवन बचाए जा सके और सारी संभावनाओं में उन्होंने कम से कम एक व्यक्ति की जान अवष्य बचाई।
            उनकी बहादुरीपूर्ण कार्रवाई के लिए नायक बरकत सिंह को मिलिट्री डिविज़न आॅफ द मोस्ट एक्सेलेंट आॅर्डर आॅफ द ब्रिटिष एंपायर के मेडल से सम्मानित किया गया जिसका नामकरण बाद में जाॅर्ज क्रास के रूप में किया गया।
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संपादक की डेस्क से

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