Wednesday, February 28, 2018
नशीब-नशीब म्हणत बसले असते तर यांनी जग जिंकलं नसतं : भाग ३: रिचर्ड ब्रान्सन
Tuesday, February 27, 2018
नशीब-नशीब म्हणत बसले असते तर यांनी जग जिंकलं नसतं : भाग 2 : स्टीव्ह जॉब्स
स्टीव्ह जॉब्स |
स्टीव्ह जॉब्स |
स्टीव्ह जॉब्स |
Monday, February 26, 2018
नशीब-नशीब म्हणत बसले असते तर यांनी जग जिंकलं नसतं : भाग 1 : वॉल्ट डिस्ने
Miki mouse |
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नशीब-नशीब म्हणत बसले असते तर यांनी जग जिंकलं नसतं या लेख मालिकेविषयी वाचा: http://swapnwel.blogspot.in/2018/02/blog-post_32.html?m=1
Sunday, February 25, 2018
नशीब-नशीब म्हणत बसले असते तर यांनी जग जिंकलं नसतं
You can change failure in to success |
Saturday, February 24, 2018
मैलाचे दगड काय सांगतात माहित आहे का?
मैलाचे दगड काय सांगतात माहित आहे का?
रस्त्याने भटकंती करताना बऱ्याचदा रस्त्याच्या कडेला काही दिशादर्शक दगड दिसतात. या दगडावरून प्रत्येक मार्गावरचे गाव, तेथील शहरे, त्या ठिकाणी पोहोचण्यासाठी लागणारे साधारण अंतर बऱ्याचदा स्पष्ट होत असते, कोणत्याही ठिकाणी पोहोचण्यासाठी मदत करणाऱ्या या दगडांच्या रंगाचा, तसेच हे दगड लावण्यामागे एक विशिष्ट अर्थ असतो. तसेच या रंगाची ही काही वैशिष्ट्ये आहेत. काय आहेत ही वैशिष्ट्ये पाहूया…
१. पिवळा रंग
ज्या रस्त्यांची निर्मिती राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरणाकडून केलेली असते अशा रस्त्यांवर अंतर दाखवण्यासाठी पिवळ्या रंगाच्या दगडांचा वापर केला जातो. राष्ट्रीय महामार्गावरच पिवळ्या रंगाचे दगड हे दिशादर्शक म्हणून लावले जातात. हे रस्ते एक प्रदेशाला दूसऱ्या प्रदेशाला जोडण्याचे काम करत असून त्याची निर्मिती राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरणाकडून केली जाते.
२. हिरवा रंग
राज्य महामार्गाच्या रस्त्यांवरुन प्रवास करणाऱ्या वाहनचालकांना दिशा दाखवण्याचे हिरव्या रंगाचे दगड करतात. मोठ्या शहरांना जोडणाऱ्या राज्य महामार्गाची देखभाल ही राज्य सरकारकडून करण्यात येते.
३. नारंगी रंग
प्रवासादरम्यान नारंगी रंगाचे दगड दिसले तर हा रस्ता एखाद्या छोट्या गावाला नेणारा आहे असे खुशाल समजावे. पंतप्रधान ग्राम सडक योजनेअंतर्गत या रस्त्यांची निर्मिती करण्यात येते.
४. निळा किंवा काळा रंग
या रंगांच्या अर्थ तुम्ही एखाद्या शहराच्या जवळ पोहचला आहात असा असतो. हा रस्ता जिल्ह्याच्या अंतर्गत येतो. याची निर्मिती स्थानिक पीडब्ल्यूडी खात्याकडून करण्यात येते.
Friday, February 23, 2018
शर्यत जगण्याची
Thursday, February 22, 2018
Wednesday, February 21, 2018
अभी गनीमत है सब्र मेरा
अभी गनीमत है सब्र मेरा, अभी लबालब भरा नहीं हूं
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है, उसे कहो मैं मरा नहीं हूं.
वो कह रहा है कि कुछ दिनों में मिटा के रख दूंगा नस्ल तेरी
है उसकी आदत डरा रहा है, है मेरी फितरत डरा नहीं हूं
Tuesday, February 20, 2018
तय करो किस ओर हो तुम
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो ।।
ख़ुद को पसीने में भिगोना ही नहीं है ज़िन्दगी,
रेंग कर मर-मर कर जीना ही नहीं है ज़िन्दगी,
कुछ करो कि ज़िन्दगी की डोर न कमज़ोर हो ।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।।
खोलो आँखें फँस न जाना तुम सुनहरे जाल में,
भेड़िए भी घूमते हैं आदमी की खाल में,
ज़िन्दगी का गीत हो या मौत का कोई शोर हो ।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।।
सूट और लंगोटियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर,
झोपड़ों और कोठियों के बीच युद्ध होगा ज़रूर,
इससे पहले युद्ध शुरू हो, तय करो किस ओर हो ।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।।
तय करो किस ओर हो तुम तय करो किस ओर हो ।
आदमी के पक्ष में हो या कि आदमखोर हो ।।
-कवी बल्ली सिंह चिमा
Monday, February 19, 2018
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब
कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या कोई किसी का नहीं ये झूठे, नाते हैं नातों का क्या कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या होगा मसीहा ... होगा मसीहा सामने तेरे फिर भी न तू बच पायेगा तेरा अपनाऽऽऽ आऽऽऽ तेर अपना खून ही आखिर तुझको आग लगायेगा आसमान में ... आसमान मे उड़ने वाले मिट्टी में मिल जायेगा कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या सुख में तेरे ... सुख में तेरे साथ चलेंगे दुख में सब मुख मोड़ेंगे दुनिया वाले ... दुनिया वाले तेरे बनकर तेरा ही दिल तोड़ेंगे देते हैं ... देते हैं भगवान को धोखा, इनसां को क्या छोड़ेंगे कसमे वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों
Sunday, February 18, 2018
हर सुबह उठ, मुल्क के अख़बार भी देखा करो
शीत लहरों में मरे लाचार भी देखा करो ।
बिन दवा के मर रहे बीमार भी देखा करो ।
छोड़ दो आवारगी घर-द्वार भी देखा करो ।
Friday, February 16, 2018
पंजाब नेशनल बैंक के बारे मे रोचक जानकारी
Thursday, February 15, 2018
Powerful Motivational Speech
Tuesday, February 13, 2018
सरोजिनी नायडू
Monday, February 12, 2018
मूर्ख माणसांची लक्षणे
Sunday, February 11, 2018
मुझ से जुदा हो कर
मुझ से जुदा हो कर तुम्हें दूर जाना है पल भर की जुदाई फिर लौट आना है साथिया संग रहेगा तेरा प्यार साथिया, रंग लयेगा इंतज़ार तुमसे जुदा होकर मुझे दूर जाना है पल भर की जुदाई फिर लौट आना है साथिया, संग रहेगा तेरा प्यार साथिया, रंग लयेगा इंतज़ार मैं हूँ तेरी सजनी, साजन है तू मेरा तू बाँध के आया मेरे प्यार का सेहरा चेहरे से अब तेरे हटती नहीं अखियाँ तेरा नाम ले लेकर छेड़े मुझे सखियाँ सखियों से अब मुझको पीछा छुड़ाना है पल भर की जुदाई फिर लौट आना है ... मेरे तसव्वुर में तुम रोज़ आती हो चुपके से तुम आकर, मेरा घर सजाती हो सजनी बड़ा प्यारा ये रूप है तेर ग्जरे की खुशबू से महका है घर मेरा आँखों से अब तेरी काजल चुराना है पल भर की जुदाई फिर लौट आना है ...
Saturday, February 10, 2018
तक्षशिला विश्वविद्यालय
.....तक्षशिला विश्वविद्यालय..... |
तक्षशिला विश्वविद्यालय का विकास विभिन्न रूपों में हुआ था। इसका कोई एक केन्द्रीय स्थान नहीं था, अपितु यह विस्तृत भू भाग में फैला हुआ था। विविध विद्याओं के विद्वान आचार्यो ने यहां अपने विद्यालय तथा आश्रम बना रखे थे। छात्र रुचिनुसार अध्ययन हेतु विभिन्न आचार्यों के पास जाते थे।
महत्वपूर्ण पाठयक्रमों में यहां वेद-वेदान्त, अष्टादश विद्याएं, दर्शन, व्याकरण, अर्थशास्त्र, राजनीति, युद्धविद्या, शस्त्र-संचालन, ज्योतिष, आयुर्वेद, ललित कला, हस्त विद्या, अश्व-विद्या, मन्त्र-विद्या, विविद्य भाषाएं, शिल्प आदि की शिक्षा विद्यार्थी प्राप्त करते थे।
प्राचीन भारतीय साहित्य के अनुसार पाणिनी, कौटिल्य, चन्द्रगुप्त, जीवक, कौशलराज, प्रसेनजित आदि महापुरुषों ने इसी विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। तक्षशिला विश्वविद्यालय में वेतनभोगी शिक्षक नहीं थे और न ही कोई निर्दिष्ट पाठयक्रम था। आज कल की तरह पाठयक्रम की अवधि भी निर्धारित नहीं थी और न कोई विशिष्ट प्रमाणपत्र या उपाधि दी जाती थी।
शिष्य की योग्यता और रुचि देखकर आचार्य उनके लिए अध्ययन की अवधि स्वयं निश्चित करते थे। परंतु कहीं-कहीं कुछ पाठयक्रमों की समय सीमा निर्धारित थी। चिकित्सा के कुछ पाठयक्रम सात वर्ष के थे तथा पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद प्रत्येक छात्र को छरू माह का शोध कार्य करना पड़ता था। इस शोध कार्य में वह कोई औषधि की जड़ी-बूटी पता लगाता तब जाकर उसे डिग्री मिलती थी।
.....तक्षशिला विश्वविद्यालय.....
चतुर्थ शताब्दी ई. पू. से ही इस मार्ग से भारत वर्ष पर विदेशी आक्रमण होने लगे। विदेशी आक्रांताओं ने इस विश्वविद्यालय को काफी क्षति पहुंचाई। अंततः छठवीं शताब्दी में यह आक्रमणकारियों द्वारा पूरी तरह नष्ट कर दिया।
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