Monday, November 14, 2016

शायरी : भाग ६

रास्ते खुद ही तबाही के निकाले हम ने;
कर दिया दिल किसी पत्थर के हवाले हमने;
हाँ मालूम है क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो;
अपना ही घर जला कर देखें हैं उजाले हमने।
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तन्हा रहा हूँ उम्र भर,
मुझे महफ़िल के कायदे नहीं पता,
यूँ ही खुश रहता हूँ मैं तो,
मुझे मुस्कान के फायदे नहीं पता....
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ख्वाब जैसे होते है कुछ लोग,
जो आँखों में तो होते है और ज़िन्दगी में नहीं...
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हम से खेलती रही दुनिया ताश के पत्तो की तरह, जिसने जीता उसने भी फेका.. जिसने हारा उसने भी फेका...
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मेरी गज़लोंने बनाया है तुझे ताज़महल...
वरना तू भी कोई विरानी हवेली होती...
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रोपटं.....
अभ्यासाचे रोप असावे.....
त्याला असावी शब्दांची फुले ......
अन वाक्यांची पाने ...।।
अशा अभ्यासा च्या रोपाला ...
पाणी घालावे विज्ञानाचे ...
खत घालावे गणिताचे ...
अन ऊन ध्यावे इतिहासाचे।।
मराठीच्या मायेने वाढवावे त्याला  पर्यावरणा ची दयावी छाया  ...
मूल्य शिक्षणा चे घालावे कुंपण ....
भूगोलाच्या सानिध्यात ठेवावे त्याला ....
अन फुलवावे त्याला कार्यानुभूवात....
हिंदीची जमीन ध्यावी...
संस्कृत चा अन संगीताचा पाऊस पाडावा ....
असे अभ्यासाचे रोपटे वाढत वाढत जावे .....
मग त्याला गुणांची येतील फुले....
आणि मार्कांची लागतील फळे ....
कौतुकाचा होईल वर्षाव .....
आणि बक्षिसं हि मिळतील....
अश्या या अभ्यासाच्या रोपांचे वर्षभर लाड लाड............!!!!!           =====================================
*जिदंगी " बेहतर " तब होती है.*
*जब आप खुश होते है...*
*लेकिन जिंदगी "बेहतरीन" तब होती है ....*
*जब आपकी वजह से लोग खुश होते है......
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कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है!
हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है!
मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम!
पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!
==========================*माना की दूरियां कुछ बढ़ सी गयीं हैं,*
*लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तनहा गुजरता है*
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*: तू माझी नाहीस
तरी मन तुझ्या मागे असे
हरिण बिचारे
"मृगजळाच्या मागे जसे"
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जी लो हर लम्हा.....
बीत जाने से पहले.....         
लौट कर यादें आती है.....
वक्त नही ।
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बांध लूँ उन्हे,ये तमन्ना नहीं.....!!
बन्ध जाऊँ उनसे,
हां ये आरजू जरूर है.....!!
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मैं नासमझ ही सही
मगर वो तारा हूँ जो,
तेरी एक ख्वाहिश के लिए
सौ बार टूट जाऊं।
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यूँ तो मुझे किसी के भी
छोड़ जाने का गम नहीं बस...
कोई ऐसा था जिससे
ये उम्मीद नहीं थी !!
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एक आरज़ू थी तेरे साथ जिंदगी गुजारने की
पर तेरी तरह मेरी तो ख्वाहिशे भी बेवफा निकली।
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न  पूरी तरह से काबिल,
न पूरी तरह से पूरा है...
हर एक शख्स,
कही ना कही से अधूरा है...!!!
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फ़िक्र तो तेरी आज भी करते है
बस जिक्र करने का हक नही रहा !!
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वक्त मिले कभी तो
कदमों तले भी देख लेना
बेकसूर अक्सर वहीं पाये जाते हैं !!
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अब न रहीं वो मस्तियां ,
अब न रहे वो रंग
बदल गये इंसान के ,  ... 
सब जीने के ढंग
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शायर होना भी कहाँ आसान है,
बस कुछ लफ़जो मे दिल का अरमान है,
कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल,
कभी हर शब्द परेशान है..
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घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली
सारी गली उनकी फिराक मे निकली
इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से
ओर हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली.
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तन्हाई मैं मुस्कुराना भी इश्क़ है
इस बात को सब से छुपाना भी इश्क़ है
यूँ तो रातों को नींद नही आती
पर रातों को सो कर भी जाग जाना इश्क़ है.
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काश मुझे भी
कोई प्यार करे
काश मुझे पर भी
कोई ऐतबार करे
निकलता हू यूही
चाहत की तलाश मे
काश प्यार की राहो मे
मेरा भी कोई इंतेज़ार करे
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दोस्ती उन से करो जो निभाना जानते हो,
नफ़रत उन से करो जो भूलना जानते हो,
ग़ुस्सा उन से करो जो मानना जानता हो,
प्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जानता हो.
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*आओ नफरत का किस्सा,*
*दो लाइन में तमाम करें,*
*मुहब्बत जहाँ भी मिले,*
*उसे झुक के सलाम करें.*
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खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में !
निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें !!
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तुम्हारा साथ छूटा है सम्भलने में वक्त तो लगेगा,
हर चीज़ इश्क़ तो नहीं की इक पल में हो जाए.
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कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा...!!!
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अँधा कर दिया...!!! 
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खूब है इश्क़ का ये पहलू भी
तू भी  बरबाद  हो गया , मैं भी
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दिल ने कहा तुम आज भी मेरे अपने हो,
फर्क बस इतना है कि अब मनाने नही आता..
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हुए फना फिर भी ना सुधर पाए है फिर,
वही शायरी, फिर वही इश्क, फिर वही तुम..
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गुज़र गया आज का दिन भी पहले की तरह,
न हमको फुर्सत मिली न उन्हें ख्याल आया..
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लोग कहते हैं समझो तो खामोशियाँ भी बोलती हैं,
मैं अरसे से ख़ामोश हूँ वो बरसों से बेख़बर है..
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भगवान का उपकार है कि आँसुऔ को रंग नही दिया,
वरना रात को भींगा तकिया सवेरे कुछ ना कुछ भैद खोल देता..
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ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर,
पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर..
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तू चाँद और मैं सितारा होता,
आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
लोग तुम्हे दूर से देखते,
नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता.
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आज ईमान मेरा थोड़ा खराब है, आँखों में है वो और हाथों में शराब है..
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