Saturday, December 2, 2017

संसद भवन पर हमला करनेवाले आतकवादियोंको मौत के घाट उतारनेवाले वीर सिपाई

दिनांक 13 दिसम्बर 2001 को सिपाही (महिला) कमलेष कुमारी संसद भवन के लोहे के गेट पर ड्यूटी पर तैनात थी, जहां से केन्द्रीय मंत्री, सांसद और अन्य गणमान्य व्यक्ति संसद भवन में प्रवेष करते हैं। लगभग 1140 बजे एक एम्बेसडर कार में सवार अत्याधुनिक हथियारों और विस्फोटकों से लैस 5 सशस्त्र आतंकवादीे संसद भवन में घुसे तथा उप राश्ट्रपति के प्रवेश/निकास गेट पर पहुँचते ही उन्होंने ताबडतोड़ गोलीबारी शुरू कर दी और अति विस्फोटक हथगोले फेंके।
   
सिपाही कमलेश कुमारी
swpanwel.blogspot.com
  

 सिपाही कमलेश कुमारी की नजर उनके हमले पर तुरंत पड़ी और उन्होंने संसद भवन में घुसने का प्रयास कर रहे आतंकवादियों का पीछा किया। उनकी हरकत को देखते हुए आतंकवादियों ने उन पर तथा गेट में पोजीशन लिए अन्य जवानों पर अंधाधुंध गोलियां चला दी जिसमें 4 सिविल पुलिस कर्मी शहीद हो गए और कई और अन्य सिविलियन भी गंभीर रूप से घायल हो गए। घायल होने के वाबजूद, यह वीरांगना अपने कर्तव्यपथ से विचलित नहीं हुई और आतंकवादियों का पीछा करना जारी रखा तथा अन्य जवानों को जानकारी देती रही। अंततः उन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपना सर्वोच्च  बलिदान दिया और उन्हें ’’अशोक चक्र’’ से सम्मानित किया था। 
           गेट संख्या 11 पर गोलियों की आवाज सुनकर हवलदार वाई.बी. थापा और सिपाही सुखविन्दर सिंह जोकि संसद भवन के गेट संख्या 1 पर थे, वे तुरंत सतर्क हो गए और आतंकवादियों का सामना करने के लिए तैयार हो गए। शीघ्र ही एक आतंकवादी गेट सं. 01 पर पहुँचा और उसने अंधाधुंध गोलियों चलानी शुरू कर दी जिसमें हवलदार वाई.बी. थापा और सिपाही सुखविंदर सिंह घायल हो गए। घायल होने के बावजूद ये दोनों विचलित नहीं हुए और आगे बढ़ रहे आतंकवादी को गेट के दरवाजे पर पहुंचने से पहले ही निशाना बना कर मार डाला। आतंकवादी अपने शरीर में बंधे हुए विस्फोटको में विस्फोट होने से मर गया। जिसके कारण गेट सं. 01 से अंदर प्रवेश करने की अपनी योजना आतंकवादियों को त्यागनी पड़ी। 
            सिपाही श्यामवीर सिंह जोकि गेट सं. 05 पर तैनात थे उन्होंने गेट सं. 09 से 01 आतंकवादी को गेट सं. 5 की ओर आते देखा जो गोलियां बरसा रहा था। गेट सं. 05 जो कि केवल प्रधानमंत्री के आने-जाने के लिए नियत है वहां गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया था। आतंकवादी ने हथगोले फेंक  कर कई एडीजी अधिकारियों/कर्मचारियों को घायल कर दिया था। गोलियों की बौछार से घबराए बिना सिपाही श्यामवीर सिंह ने उस आतंकवादी पर पूर्ण निगरानी रखी और उस पर कारगर फायर करने के लिए उसे नजदीक पहॅुंचने दिया और जैसे ही आतंकवादी पोर्च भवन के गेट सं. 05 के अंदर पहुंचा, सिपाही श्यामवीर सिंह ने तेजी से पोर्च के खंभे की आड़ लेकर उसके अंदर प्रवेश करने से पहले ही उसे मार डाला। उस समय गेट संख्या 5 के नजदीक गोलियों और विस्फोटकों की आवाज सुनकर और गेट संख्या 5 के बाहर डयूटी पर तैनात एडीजी कर्मियों से रिपोर्ट लेकर श्री एन.एम.एस. नायर, एआईजी, एसपीजी, पीएमओ ने तुरंत एसपीजी कर्मियों को प्रधानमंत्री के क्षेत्र को सुरक्षित करने का आदेष दिया। 
            इसी प्रकार सिपाही डी. संतोश कुमार अपने ड्यूटी स्थान पर पूरी तरह सतर्क और चैकस थे, गोलीबारी और हथगोलों फटने की आवाज सुनते ही वह तेजी से अपनी पोस्ट में भाग कर गये तथा अपने कंपनी कमांडर से विचार-विमर्ष किया। उसके बाद वह दीवार पर चढ़े और भवन के गेट सं. 9 की ओर बढ़ रहे आतंकवादियों पर गोलियां बरसाई लेकिन आतंकवादी आगे बढ़ने में सफल रहा और उसने गेट सं. 9 के पोर्टिको के नीचे आड़ ले ली तथा गोलीबारी करता रहा। गेट संख्या 5 पर तैनात केरिपुबल के जवानों ने भी उन पर जवाबी फायर किया।
             जब सिपाही डी. संतोश कुमार को आतंकवादियों द्वारा की जा रही फायरिंग की निश्चित दिशा मालूम नहीं पड़ी तब वे चार दीवारी पर चढ़ गए और उन्होंने आतंकवादियों पर गोलियां चलायी। 3 आतंकवादी मारे गए जिनके शव गेट सं. 9 के पोर्टिको के अन्दर मिले। 
        सिपाही कमलेश कुमारी कक उनके द्वारा प्रदर्षित उत्कृश्ट शौर्य, अदम्य साहस और उच्च कोटि की कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें "शौर्य चक्र’’ से अलंकृत किया गया।
=============================================
संपादक की डेस्क से
यदि आप के पास हिंदी, अंग्रेजी, या मराठी भाषा मे कोई  लेख, कहानी, या  कविता है। जिसे आप publish  करना चाहते है। तो कृपया आपकी कहानी आपके फोटो के साथ हमें भेज दिजिये । हमारा ईमेल आईडी है: swapnwel@rediffmail.com और उस कहानी,लेख ,कविता को हम आपके नाम और फ़ोटो के साथ ही  इस ब्लॉग पर publish कर देंगे।
         तो दोस्तो लिखना सुरु कीजिये।हम आपकी राह देख रहे है।
 धन्यवाद !!!!!!!!

No comments:

Post a Comment

माझे नवीन लेखन

खरा सुखी

 समाधान पैशावर अवलंबून नसतं, सुख पैशानं मोजता येत नसतं. पण, सुखासमाधानानं जगण्यासाठी पैशांची गरज पडत असतेच. फक्त ते पैसे किती असावेत ते आपल्...