Thursday, February 2, 2017

कश्मीर में कॉम्पैक्ट रवैया

वह कश्मीर में एक आम परिवार की लड़की है पिता बैंक और मां शिक्षक में काम करते है। जायरा वासिम नाम की इस सोलह वर्षीय लड़की ने दसवीं कक्षा में कुल ९२ % अंक प्राप्त किए है । दंगायुक्त कश्मीर घाटी के विपरीत, उसने इस चमकदार शैक्षणिक प्रदर्शन को मुमकिन कर दिखाया है।
        
           आमिर खान की फिल्म " दंगल " में गीता फोगट के बचपन की भूमिका जायरा ने निभाई है। फ़िल्म देखते वक्त अगर आप उसकी हरियाणवी आवाज सुनते है तो पताही ही चलता की कि जायरा की बोलीभाषा कश्मीरी है।
वह हाल ही में जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री मेहबूब मुफ्ती से मिली थी। इस यात्रा के बाद, उसे सोशल मीडिया द्वारा हमला किया गया था। यह कहा गया था कि उसे मुफ्ती की बजाय पैलेट गन से जखमीे हुए लोगों को मिलने जाना चाहिए था। इस प्रकार पीड़ित होने के कारण, जायरा ने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी ।
 
        उसके इस माफीनामे पर देशभर से उसे बहुत बड़े तोर पर सपोर्ट मिल गया। और इसने अपना माफीनामा वापस ले लिया। अमीर खान के साथ उनकी सहायता की। गीता फोगट ने उन्हें बताया कि उसे किसीसे भी डरने कोई जरूरत नही है। डर का कोई कारण नहीं है। पर देखा जाए तो उस पूरी घटना से यह पता बहलाता है , की कश्मीर में लोगोंकी सोच क्या है। कश्मीर में इस तरह का Compact Attitude वापस आ गया है ।

         2012 में तीन किशोर लड़कियों की 'प्रगाश' नामसे उनका अपना बैंड कश्मीर में स्थापित किया था । उस समय, इनमें से कई लड़कियों को बलात्कार से लेकर मौत तक कि कई धमकिया मिली। तो भयभीत होकर उन्होंने बैंड को रोक दिया।

     ऐसे हालात अभी भी ऐसे राज्य में चल रहे हैं जहां एक महिला मुख्यमंत्री है, यह एक दुर्भाग्यपूर्ण कहानी है। अपने आदर्श नायक के रूप जो लोग जायरा या फिर आईएएस के एग्जाम में अव्वल आने वाले शाह फैसल को नही मानते। यही दुःख की बात है।
बुरहान वाणी जो आतंक की आवाज था उसे अपना हीरो माननेवाले लोग जहा है, वहाँ यह कोई आश्चर्य नहीं है!

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संपादक की डेस्क से

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