Sunday, September 17, 2017

ये हैं देश के असली हीरो, इन्होंने पाक के खिलाफ भेजा था पहला लड़ाकू विमान

मार्शल अर्जुनसिंह

जन्म- 15 अप्रैल 1919
पिता- दरबारा सिंह
शिक्षा- लाहौर के सरकारी कॉलेज से ग्रैजुएशन, फिर इंग्लैंड में ट्रेनिंग
परिवार- पत्नी तेजी, बेटा अरविंद (अमेरिका में प्रोफेसर)

दादा से लेकर पिता भी थे सेना में

मार्शल अर्जुनसिंह के परदादा सेना में थे। गाइड्स केवेलरी में 1854 से 1879 तक रहे और एक युद्ध में शहीद हो गए।

दादा भी गाइड्स केवेलरी में ही 1883 से 1917 तक रहे, जबकि पिता सेना में रसिलदार थे।

पाकिस्तान के लायलपुर के गांव में जन्मे अर्जुनसिंह, जब भी गांव के ऊपर विमान देखते तो उन्हें उसे पा लेने की इच्छा होती थी। 

महज 20 साल की उम्र में वे रॉयल वायुसेना में पायलट बन चुके थे।

50 साल की उम्र में यानी 1969 में वे वायुसेना से रिटायर हो गए और स्विट्जरलैंड के राजदूत बना दिए गए।

उनके क्षेत्राधिकार में वेटिकन भी लगता था तब पोप जॉन पॉल षष्टम के साथ उनकी कई बार बात हुई।

देश जब आज़ाद हुआ तो लाल किले पर सुबह वायुसेना ने आजादी की पहली उड़ान भरी थी। इसमें 12 विमान थे और इस टीम का नेतृत्व करने वाले ग्रुप कैप्टन अर्जन सिंह ही थे।

       देश में फाइव स्टार वाले तीन ही सैन्य अधिकारी हुए हैं। एक फील्ड मार्शल सैम मानेकशां, दूसरे फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा और तीसरे मार्शल अर्जनसिंह। 

  भारतीय वायुसेना में वे अकेले हैं, जिन्हें 2002 में मार्शल की उपाधि दी गई।

बात भारत और पाकिस्तान के बीच लढाई छिड़ चुकी थी,उस समय की है। एक सिंतबर 1965,उस समय शाम के पौने पांच बज रहे थे। तत्कालीन रक्षामंत्री श्री. वाय.बी. चव्हाण ने वायुसेना से पूछा कि यदि सेना आपसे मदद मांगे तो कितने समय में वायुसेना मदद दे सकेगी। तब एमआईएएफ अर्जनसिंह ने कहा महज एक घंटे में। नई दिल्ली के ऑपरेशन रूम के बाहर यह बातचीत हुई। 

पठानकोट से वायुसेना के विमान में 4.30 बजे तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जेएन चौधरी लौटे ही थे। पालम हवाई अड्‌डे से वे सीधे एयर मार्शल अर्जनसिंह के पास गए। वे बता रहे थे कि पाकिस्तानी सेना ने चम्बा और अखनूर सेक्टर में हालत खराब कर दी है। दोनों रक्षामंत्री के कमरे में आए। शाम 4.50 बजे रक्षामंत्री चव्हाण ने हालात की गंभीरता समझ ली और वायुसेना के प्रयोग की अनुमति दे दी। अर्जनसिंह ने तत्काल आदेश जारी किए और 26 मिनट में वायुसेना का पहला लड़ाकू विमान पाकिस्तानी सेना के खिलाफ उड़ान भर चुका था।

    बारिश का मौसम था और अंधेरा होने में दो घंटे ही बचे थे, लेकिन तब तक वायुसेना के विमान चम्बा और अखनूर में 26 उड़ानें भर चुके थे। यह केवल एयर मार्शल अर्जुनसिंह के कारण ही संभव हो सका।

 जब पाकिस्तान ने भारत पर किया हमला
पाकिस्तान ने 1 सिंतबर को ‘ग्रेंड स्लेम’ कोड के तहत भारत पर हमला कर दिया। भारतीय वायुसेना को जवाबी हमला नहीं करना था। एयरमार्शल अर्जुनसिंह इतना कुंठित महसूस कर रहे थे कि मानो हाथ बांधकर युद्ध लड़ रहे हो।
     जब पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना बेस पर हमला किया तभी अर्जुनसिंह को चव्हाण ने हमले की अनुमति दी थी। 22 सिंतबर को जब युद्ध विराम हुआ तो चव्हाण ने अपनी डायरी में लिखा चौधरी और अर्जनसिंह के लिए यह महान दिन है।

उन्होंने लिखा- एयर मार्शल अर्जुन सिंह देश का हीरा हैं- बेहद सक्षम, दृढ़ और एक योग्य लीडर हैं।

 
पिछले दिनों इनके 97 वें जन्मदिन पर पश्चिम बंगाल के पानागढ़ एयरबेस को उनके नाम पर करने की घोषणा की गई।

 
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संपादक की डेस्क से

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