Friday, September 15, 2017

‘द ग्रेनेडियर्स’ 

भारत की देश की स्वतंत्रता को कायम रखने लिए मर मिटने को तैयार इन जवानों ने हमेशा आपने आप को  देश के लिए समर्पित किया है। और हमेशा अपने परिवार से भी पहले अपने देश को चुना है । इनकी शहादत और वीरता के किस्सों से भारत (India) का इतिहास भरा पड़ा है।
कारगिल युद्ध के दौरान आपने भारतीय सेना के कुछ रेजिमेंट्स का नाम तो सुना ही होगा। ‘द ग्रेनेडियर्स’ भारत की एक बेहतरीन रेजिमेंट है।  दुनिया के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में से एक माने जाने वाले फ्रेंच मूल के ‘ग्रेनेडियर्स’ के नाम पर भारत की 'द ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट' बनी हैं। भारतीय सेना की  इन्फैंट्री रेजीमेंट ‘द ग्रेनेडियर्स’ की शौर्य गाथाएं, हर भारतीय के सीने को गर्व से चौड़ा कर देती हैं।
भारत की अखंडता को चुनौती देने वाले हर संभावित खतरे को नेस्तनाबूत कर देने की ताक़त रखने वाले इन्हीं ग्रेनेडियर्स से जुड़े कुछ तथ्य आज हम आपको बताएंगे।

१. भारतीय सेना में ग्रेनेडियर्स का गठन ब्रिटिश शासन काल में ही हो गया था, लेकिन १९४५ में इस सैन्य इकाई का नाम परिवर्तित कर दिया गया।

२. भारतीय सेना में ग्रेनेडियर्स की १९ टुकड़ियां सेवा दे रही हैं, जो युद्ध काल में किसी भी तरह के आक्रमण का जवाब देने में सक्षम हैं। इनका मुख्य कार्यालय मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित है।

३. ग्रेनेडियर्स का युद्धनाद और ध्येय वाक्य है 'सर्वदा शक्तिशाली'. ग्रेनेडियर्स ने अपनी प्रतिष्ठा और ध्येय वाक्य को चरितार्थ करने के तमाम उदाहरण पेश किए हैं।

४. अक्टूबर १९४७ में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान को बढ़ने से रोकने के लिए, ग्रेनेडियर्स को भेजा गया था। पाकिस्तानी हमलावरों के कश्मीर में प्रवेश को रोकने के लिए ग्रेनेडियर्स को ‘गुरेज’ घाटी को घेरना ज़रूरी था। कई दिनों तक चले युद्ध में ग्रेनेडियर्स ने पाकिस्तानी सेना और आतंकियों को बुरी तरह पराजित कर खदेड़ दिया। इस निर्णायक जीत के लिए २८ जून १९४८ को इस यूनिट को 'गुरेज' नामक युद्ध पदक से सम्मानित किया गया।

५. १९६५ में भारत-पाक युद्ध में ग्रेनेडियर्स ने चट्टान की भांति खड़े रह कर पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी मरणोपरांत 'परमवीर चक्र' से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद उस समय ४th ग्रेनेडियर्स में शामिल थे। उन्होंने पाकिस्तान के सात पैटर्न टैंकों को अकेले ही ध्वस्त कर दिया था।

(इसे भी पढ़िए :1965 के युद्ध में अब्दुल हमीद ने अपनी आरसीएल जीप से पाकिस्तान के अमेरिका से लिए हुए पैटन टैंकों को उड़ाकर दुनिया को हैरत में डाल दिया था)

६. वर्ष १९६२ में चीनी सैनिकों ने सिक्किम के नाथूला दर्रे पर भारतीय ग्रेनेडियर्स को उकसाने के लिए जबरन इंटरनेशनल बॉर्डर से छेडछाड़ करने की कोशिश की, जिसके जवाब में ग्रेनेडियर्स द्वारा ४ दिन तक की गई कार्रवाई में चीन को ग्रेनेडियर्स के अजेय युद्ध कौशल का पता चल गया। परिणामस्वरूप पहली बार चीन ने ‘सीज़फायर’ की पहल की।

७. वर्ष १९७१ के 'बांग्लादेश मुक्ति संग्राम' में इन्हीं ग्रेनेडियर्स ने जरपाल में पाकिस्तानी अटैक को ध्वस्त कर दिया था। इसके लिए ३rd ग्रेनेडियर्स की चार्ली ब्रिगेड के कमांडर मेजर होशियार सिंह को 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया।

( ३rd ग्रेनेडियर्स की चार्ली ब्रिगेड के कमांडर मेजर होशियार सिंह )

८. ग्रेनेडियर्स का मुख्य काम ध्वस्त कर देना ही होता है. इसीलिए इसे सबसे खतरनाक रेजीमेंट भी कहा जाता है. इनका पराक्रम वर्ष १९९९ में कारगिल युद्ध के ‘ऑपरेशन विजय’ में भी देखा गया था. टोपोलिंग और टाइगर हिल की दुर्गम चोटियों पर नीचे से ऊपर की ओर बढ़ते हुए १८ वीं ग्रेनेडियर्स बटालियन ने पाक सैनिकों को मार भगाने में प्रमुख भूमिका निभाई. महज १९ साल के ग्रेनेडियर हवलदार योगेन्द्र सिंह यादव को उनके अतुल्य शौर्य और देशभक्ति के लिए 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया।

( टाइगर हिल युद्ध का टाइगर : योगेंद्र सिंह यादव )

९. ग्रेनेडियर्स मुंबई में आतंकी हमले के समय उतारी गई सेना का भी हिस्सा थे. ग्रेनेडियर्स श्रीलंका, कोरिया, सिओल आदि राष्ट्रों में शांति सेना के रूप में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।

१०. अपनी वीरता के लिए ये रेजीमेंट ३८ युद्ध पदक, ३ परमवीर चक्र और अन्य कई सारे सैन्य पदकों से सम्मानित हो चुकी है।

११. यह रेजीमेंट सही अर्थों में भारत की विविधता में एकता को दिखाती है, क्योंकि इसमें जाट, कुमायूं, मुस्लिम, राजपूत, अहिर और गुज्जर आदि हर जाति-धर्म के सैनिक हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इनका परस्पर तालमेल बेजोड़ होता है।

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संपादक की डेस्क से

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