दोस्तो आज के दौर में अपना खुदका बिज़नेस होना बहुत फायदेमंद होता हैं। मगर कई लोग अपना बिजनेस नही चला पाते।कुछ सुरु तो करते है।मगर बीच रास्ते मे ही छोड़ देते।आइए आज हम जानने की कोशिस करे कि अच्छा विक्रेता कैसे बना जा सकता है।
एक अच्छे विक्रेता के पास दो मूलभूत गुणोंका होना बहुत जरूरी होता हैं। और वो दो महत्वपूर्ण गुण हैं,
१.समानुभूती
२.विक्री करने की आंतरिक जरूरत
१.समानुभूती
२.विक्री करने की आंतरिक जरूरत
आइए दोस्तो अब इन दो गुणोंको विस्तार से समझते है
१.समानुभूती का मतलब होता है,किसी व्यक्ति को अपना उत्पादन या सेवा बेचने के लिए उस व्यक्ति के भावनावोंको समझनेकी क्षमता। विक्रेता को अपने ग्राहक के मन मे क्या चल रहा है इस बात का अहसास होने चाहिए, और उसी प्रकार से अपने ग्राहक के साथ अपने संवाद को बढ़ावा देना चाहिए।
२.विक्री करने की आंतरिक जरूरत (ईगो ड्राइव) का मतलब होता है, विक्रेता की अपने उत्पादन को बेचनेकी तीव्र इच्छा और प्रयन्त का होना। विक्री केवल पैसो के लिए नही की जाती, विक्री का लक्ष्य पूरा करना ही विक्रेता की आंतरिक जरूरत होती है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो दोस्तो ,एक अच्छे विक्रेता को हमेशा अच्छा काम करनेकी और इस प्रकिया में अपनी आर्थिक क्षमता बढनेकी तीव्र इच्छा होती है। उसमें उद्योजकता भी होती है। अपने कार्य मे अच्छे परिणाम दिखाकर अपनी सुरक्षा को प्राप्त करना के क्षमता भी एक अच्छे विक्रेता में होती है।उसमें लोगों से रिश्ता जोडनेकी और उनसे सवांद साधनेकी क्षमता होती हैं।वो हमेशा बड़ी सहजता से लोगो से संपर्क तथा सवांद साधकर उन्हसे मित्रता जोड़कर अपना प्रभाव बना देता है।
विक्रेता जब अपने प्रयास से किसीभी बड़े या छोटे व्यक्ति या समूह के प्रति आत्मीयता दिखता है, और अपने ग्राहक के हितों की फिकर करता है तभी वो सफल बम जाता है।हर व्यक्ति को दोस्त बनाना आना चाहिए।एमजीआर कोई व्यक्ति आपको नकारता है तब उस नकारता की भावना स्वीकार करकर ही आगे बढ़ते रहना चाइए।
विक्रेता जब अपने प्रयास से किसीभी बड़े या छोटे व्यक्ति या समूह के प्रति आत्मीयता दिखता है, और अपने ग्राहक के हितों की फिकर करता है तभी वो सफल बम जाता है।हर व्यक्ति को दोस्त बनाना आना चाहिए।एमजीआर कोई व्यक्ति आपको नकारता है तब उस नकारता की भावना स्वीकार करकर ही आगे बढ़ते रहना चाइए।
एक अच्छा विक्रेता यह कभी नही सोचता कि वो एक दिन में कितना मुनाफा कमा सकता है,वो यह सोचता है किसप्रकार से अपने ग्राहक को अधिकाधिक सेवा दी जा सके,और उसके वजहसे उसको ग्राहक को कितना फर्क पड़ सकता है।इस उदिष्ट के साथ अगर विक्रेता काम करता हैं, तो उसे अपने व्यवसाय में सफलता और काम मे संतुष्टी (आनंद) मिल सकता है।
हर विक्रेता अपनी एक अलग तरीकेसे काम करता है।और हर किसीको सफलता मिलनेकी संभावना भी अलग अलग होती है।अनेक विक्रेता अपने ग्राहक के साथ जल्दी संपर्क बना लेते है।उनपर अपना प्रभाव बनाकर अच्छी विक्री कर सकते है। दूसरे विक्रेता को शायद ज्यादा समय लगे।वो धीरे धीरे से समाज जाएगा और अपनी विक्री को धीरेधीरे बढ़ता जाएगा।यहापर एक बात को धयकन में रखना जरूरी है दोस्तों, व्यक्ति जबतक अपनी पूरी प्रयास से अपना काम करता रहता है, अपने प्रयास को किसिभी हालत में कम नहीं करता, अपयश प्राप्त होने के बावजूद भी अपने मार्ग पर चलता रहता है वो विक्रेता सफलता की सीढ़ी प्राप्त कर सकता है।
हर विक्रेता अपनी एक अलग तरीकेसे काम करता है।और हर किसीको सफलता मिलनेकी संभावना भी अलग अलग होती है।अनेक विक्रेता अपने ग्राहक के साथ जल्दी संपर्क बना लेते है।उनपर अपना प्रभाव बनाकर अच्छी विक्री कर सकते है। दूसरे विक्रेता को शायद ज्यादा समय लगे।वो धीरे धीरे से समाज जाएगा और अपनी विक्री को धीरेधीरे बढ़ता जाएगा।यहापर एक बात को धयकन में रखना जरूरी है दोस्तों, व्यक्ति जबतक अपनी पूरी प्रयास से अपना काम करता रहता है, अपने प्रयास को किसिभी हालत में कम नहीं करता, अपयश प्राप्त होने के बावजूद भी अपने मार्ग पर चलता रहता है वो विक्रेता सफलता की सीढ़ी प्राप्त कर सकता है।
सफलता पाने के लिए हमेशा निरंतर प्रयन्त करना जरूरी होता हैं।
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संपादक की डेस्क से
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