आज बहोत जोर की बारिश हो रही है।
बरसती बूंदों ने शायद सभी सडकोपर पानी की दीवार खड़ी की है। हर किसीको तकलीफ है, हर कोई बेहाल है। कोस रहा हो शायद इस बारिश को। क्यो न कोसे ? आखिर दिन भर काम करने के बाद हर किसीको अपने घर जाने की जल्दबाजी होती तो हैं ना। पर बारिश के पानी ने तो जैसे रास्ता रूख लेने की ठान ही ली है। उपरसे समुद्र पे भरती का समय है।तो जो पानी रास्तो पर जमा हुवा है ,वो समुन्दरमे जा नही रहा है। यही वजा है कि सारे रास्ते बंद हो गए है। मानो सबकुछ अपनी जगह जम सा गया हो। 26 जुले 2007 की पुराने यादें को इस बारिश ने फिरसे जगा दिया।
आज बारिश ने प्रत्येक व्यक्ति को "मुम्बईकर" बना दिया है
अब कोई मराठी नहीं है ...
कोई यूपी वाला भैया नहीं। और
कोई भी हिन्दू नहीं है ...
कोई मुस्लिम नहीं
बरसात में भिगनेवाले लोग ...
बरसात की मुसीबत में फंसे लोग ...
और वो लोग जो हर किसी की मदद कर रहे हैं .....
आज सारे के सारे मुम्बईकर ही तो है।
कल बारिश को रुक जाएगी देगा ...
यह सुबह एक नया जोश जीवन मे भर देगी... सबकुछ ठीक हो जाएगा ...
सिर्फ एक बात हमेशा दिल मे कायम रखो दोस्तो ...
इस बारिशने जो दिल मे नमी दी हैं ।हमे जातिपाति से बढ़कर एकबार फिरसे इंसान बनाया है। एक दुसरेकी मदत करने की जो भावना मन मे जगाई है। उसे हमेशा याद रखना।
कही हमे फिरसे एक दूसरे को सहारा देने के लिए बारिश का इंतजार करना न पड़े।
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संपादक की डेस्क से
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